मंदिर के अनुरूप भगवान गरुड़ महाराज जी की प्राण प्रतिष्ठा अध्यक्ष बृजलाल गोयल के मार्गदर्शन में संपन्न हुई
अविनाश कुमार
संपादक
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**** मुख्य पुजारी हनुमत जी महाराज के मंत्र उच्चारण के साथ समारोह के मुख्य जजमान चौबे परिवार अविनाश चौबे विवेक चौबे प्रियांश चौबे के द्वारा संपन्न कराया गया ***
रायपुर02/10/2025 /// छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक मंदिर राम मंदिर रायपुर में 2 तारीख दशहरे के पर्व पर संपूर्ण विधि विधान से भगवान गरुड़ की प्राण प्रतिष्ठा की गई वैसे तो गरुड़ स्तंभ पर गरुड़ जी पहले से विराजमान थे लेकिन उनकी प्रतिमा थोड़ी छोटी होने के कारण काफी दिनों में चर्चा चल रही थी की मंदिर के अनुरूप भगवान गरुड़ की प्रतिमा स्थापित की जाए अंततः वह शुभ घड़ी 2 अक्टूबर दशहरे के दिन आ गई यह शुभ कार्य विधि विधान के साथ अध्यक्ष बृजलाल गोयल के मार्गदर्शन तथा मुख्य पुजारी हनुमत जी महाराज के मंत्र उच्चारण के साथ समारोह के मुख्य जजमान चौबे परिवार अविनाश चौबे प्रियांश चौबे विवेक चौबे के द्वारा संपन्न कराया गया इस अवसर पर विशेष रूप से बृजलाल गोयल जी पत्नी के साथ शामिल हुए
शस्त्र पूजा करते हुए ब्रज लाला गोयल
वैसे तो दशहरा के दिन राम मंदिर रायपुर में बड़ा उत्सव मनाया ही जाता है भगवान राम की विशेष पूजा अर्चना के बाद समस्त शास्त्रों का पूजन किया जाता है यह एक बड़ा समारोह होता है जिसे मंदिर के अध्यक्ष बृजलाल गोयल ने संपन्न कराया इस भव्य समारोह में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी भगवान राम की विजय के जयकारे लगाए जा रहे आनंदमय वातावरण में प्रसाद का वितरण हो रहा था श्रद्धालु लगातार प्रभु राम और सीता जी के दर्शन कर रहे हैं कल विशेष कर मंदिर के आधा घंटे के लिए ही भगवान के विश्राम के लिए ही बंद किया गया था
छत्तीसगढ़ की धरा में राम मंदिर का निर्माण बहुत ही अद्भुत है बहुत सी विशेषताएं इस मंदिर से जुड़ी हुई हैं मंदिर की ख्याति पूरे भारत में धीरे-धीरे फैल रही हैं मंदिर प्रांगण में भोजन प्रसादी की विशेष व्यवस्था है कोई भी भक्त भूख नहीं रहता ,गौशाला है सुंदर राम की बगिया है संस्कृत पाठशाला है और वह जो तमाम व्यवस्थाएं एक बड़े सुचारू रूप से चलने वाले मंदिर की होना चाहिए और वह सब व्यवस्थाएं व्यवस्थित ढंग से
चलरही हैं मंदिर की नीव से लेकर निर्माण और स्वावलंबी बनाने में इस तरीके से अध्यक्ष बृजलाल गोयल ने अपना धन धान और जूनून के साथ समय दिया साथ ही पूरे छत्तीसगढ़ से छोटे-बड़े सभी जाति धर्म के लोगों को उन्होंने एक सूत्र में बांध कर व्यवस्था को स्वावलंबी बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है और आज मंदिर स्वावलंबी होते हुए पूरे छत्तीसगढ़ के जन मानुष को आशीर्वाद दे रहा



