वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥"ऊं गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा
दिव्य दूत परिवार की ओर से प्रथम पूजनीय प्रभु श्री गणेश भगवान् चतुर्थी की चरण वंदन शुभकामना
गणेश गायत्री मंत्र - ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
गणेश बीज मंत्र - "ऊ गं गणपतये नमः" (इस मंत्र का 108 बार जप करें)दंतेवाड़ा के ढोलकल गणेश - माओवादियों ने उस स्थान पर गणेश की मूर्ति को नष्ट करने की कोशिश की जिसने उन्हें एकदंत नाम दिया था, लेकिन वे दिव्यता को नहीं रोक सके
ढोलकल गणेश
ढोलकल गणेश जिला दंतेवाड़ा में बैलाडिला पहाड़ी में 3000 फीट ऊंचा एक सुंदर स्थान है। माना जाता है कि भगवान गणेश की 3 फीट सुंदर पत्थर की मूर्ति 10 वीं और 11 वीं शताब्दी के बीच नागा वंश के दौरान बनाई गई थी, यह साइट का मुख्य आकर्षण है। जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से 13 किमी दूर स्थित, यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, और उन लोगों के लिए जो हरे पहाड़ियों के बीच ट्रेक करना पसंद करते हैं।
ढोलकल गणेश मंदिर: इस मंदिर से जुड़ी है गणपति बप्पा के एकदंत की कथा
ढोलकल गणेश मंदिर: आज देशभर में गणेश चतुर्थी मनाई जा रही है। आज से 12 सितंबर तक चलने वाले गणेशोत्सव के लिए पंडालों और घरों में गणपति बप्पा की मूर्तियों की स्थापना की जा रही है। आज हम आपको गणेश जी के उस मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जहां पर परशुराम जी और गणपति में युद्ध हुआ था। उस युद्ध में गणेश जी का एक दांत टूट गया था, जिसके कारण गजानन एकदंत कहलाए।
3000 फीट की ऊंचाई पर है गणेश मंदिर
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित भगवान गणपति का यह विशेष मंदिर बैलाडिला की ढोलकल पहाड़ी पर स्थित है। समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है। गणेश जी की प्रतिमा ढोलक के आकार की बताई जाता है, जिस कारण से इस पहाड़ी का नाम ढोलकल पड़ा।
ढोलकर मंदिर की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश और परशुराम जी में युद्ध इस पहाड़ी के शिखर पर हुआ था। यद्ध में परशुराम जी के फरसे से गणेश जी का एक दांत टूट गया। इस वजह से गजानन एकदंत कहलाए। परशुराम जी के फरसे से गजानन का दांत टूटा, इसलिए पहाड़ी के शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा गया।दक्षिण बस्तर के भोगामी आदिवासी परिवार अपनी उत्पत्ति ढोलकट्टा (ढोलकल) की महिला पुजारी से मानते हैं। इस घटना की याद में ही छिंदक नागवंशी राजाओं ने शिखर पर गणेश की प्रतिमा स्थापित की। पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार, ढोलकल शिखर पर ललितासन मुद्रा में विराजमान दुर्लभ गणेश प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती हैलोग 12 महीने ढोलकर मंदिर में गणेश जी पूजा करते हैं। फरवरी माह में यहां पर मेले का आयोजन होता है।
गणेश गायत्री मंत्र - ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
गणेश बीज मंत्र - "ऊ गं गणपतये नमः" (इस मंत्र का 108 बार जप करें)



