बिलासपुर

बालको की उत्तरोत्तर प्रगति में महिला कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका

बालकोनगर07 मार्च2025। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) महिला कर्मचारियों के योगदान और उपलब्धियों का सम्मान करता है। कंपनी महिलाओं की शक्तिसंघर्ष और सफलता को को पहचानते हुए निरंतर उन्हें अपने कार्यबल में शामिल किया है। कंपनी ने महिलाओं को समान अवसरसम्मान और सुरक्षा देने का प्रयास किया है। महिला कर्मचारियों ने अपने कौशल के माध्यम से बालको के उत्तरोत्तर प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कंपनी से जुड़ी महिला कर्मचारियों की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

 

सोनाली प्रियदर्शिनीमाइनिंग इंजीनियरवेदांता बालको की यात्रादृढ़ता और परिवार के अटूट समर्थन की यात्रा है। सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजक्योंझरउड़ीसा के खनन इंजीनियरिंग विभाग में पहली महिला छात्राओं के समूह का हिस्सा बनीं। इस क्षेत्र में बढ़ाया कदम व्यक्तिगत उपलब्धियों के साथ अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणादायी बना। आज वो वेदांता बालको में एक गौरवशाली खनन इंजीनियर के रूप कार्यरत हैं। उनकी कहानी बाधाओं को तोड़ने और एक ऐसे उद्योग में एक अनूठा रास्ता बनाने की है जहाँ महिलाओं का अक्सर कम प्रतिनिधित्व होता है। करियर में आगे बढ़ते हुए उन्होंने एक बेहतर भविष्य के साथ ही अगली पीढ़ी की लड़कियों को प्रेरित भी किया है।

 

बालको प्लांट में प्रवेश करते ही प्रवेश द्वार पर मिलती हैं शांतआत्मविश्वास और शालीनता की पहचान सुरक्षा गार्ड सुमन बंजारे। छत्तीसगढ़ी परिवार में एक लड़के के रूप में जन्मीउन्हें हमेशा लगता था कि उनके अंदर कुछ ऐसा है जो आस-पास की दुनिया से मेल नहीं खाता। वह जानती थी कि वह बाकियों से अलग एक ट्रांस महिला हैं। दोस्त से मिली जानकारी पर उन्हें बालको में नौकरी के लिए साक्षात्कार दिया और चयन हो गया जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। अगस्त 2024 में बालको की लिंग परिवर्तन/पुनः निर्धारण सर्जरी नीति के मदद से सुमन ने सर्जरी करवाई। यह एक परिवर्तनकारी क्षण थापहली बार सुमन को लगा कि वह वास्तव में वही है जो वह है। आत्म-खोज की उसकी यात्रा पूरी हो गई थी। सुमन की कहानी यहीं नहीं रुकी2 फरवरी2025 को उसकी शादी हो गई। आजवो बालको में जी4एस के तहत सुरक्षा प्रभारी के रूप में काम करती हैंजो कंपनी के लिए एक व्यावसायिक भागीदार है।

 

महिला ड्राइवर सावित्री चौहान की यात्रा बेहद कठिनाई के साथ शुरू हुई। उनकी दुनिया तब बिखर गई जब 7 साल की उम्र में अपने एकमात्र अभिभावक दादी को भी खो दिया। परिवार के समर्थन के बिना बड़े होने की चुनौतियों का सामना करते हुए जीवन एक संघर्ष बन गया। उन्होंने राजपूत ट्रैवल्स के बारे में सुनाजिन्हें महिला ड्राइवरों की तलाश थी। आजसावित्री बालको के लिए प्लांट के अंदर और बाहर दोनों जगह चार पहिया वाहन चलाती हैं। वह एक जीवंत उदाहरण है कि महिलाएँ उन क्षेत्रों में भी सफल हो सकती हैंजहाँ पारंपरिक रूप से पुरुषों का वर्चस्व रहा है। सावित्री ने उस मिथक को तोड़ दिया है। उन्होंने दुनिया को दिखाया है कि महिलाएँ भी अच्छी तरह से गाड़ी चला सकती हैं।

 

बालको सीएसआर लाभार्थी किसानपद्मा राठिया कंपनी की दूरदर्शी परियोजना, “मोर जल मोर माटी” का एक अभिन्न अंग बन गई हैं। पद्मा के लिए यह सिर्फ एक कृषि परियोजना नहीं थी बल्कि उनके समुदाय की महिलाओं के जीवन को बदलने का एक मौका था। दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने उदाहरण पेश करने का बीड़ा उठाया। बंजर भूमि को सब्जियों और मूंगफली के उपजाऊ खेतों में बदलने वाली पद्मा की सफलता सिर्फ उनकी अपनी फसल तक ही सीमित नहीं रही बल्कि उनके गांव में एक क्रांति को जन्म दिया। उनके जुनून और प्रतिबद्धता ने भटगांव की महिलाओं को एकजुट किया हैउन्हें खेती की कला को अपनाने और अपने भविष्य का स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित किया है। पद्मा के प्रयासों ने भटगांव को कोरबा जिले में एक प्रमुख कृषि केंद्र में बदल दिया है।

 

प्रोजेक्ट पंछी की लाभार्थी सान्या कुमारी खुटे हमेशा से ही मेडिकल क्षेत्र में जाने का सपना देखती थी। नर्सिंग की परीक्षा के बाद उनका चयन हो गयालेकिन आर्थिक बाधा ने कदम रोक दिये। प्रोजेक्ट पंछी परियोजना सीखने और व्यक्तिगत विकास के लिए एक मंच प्रदान किया। साथ ही वेदांता द्वारा खुद को आत्मनिर्भर बनाए रखने का अवसर भी दिया। प्रोजेक्ट पंछी के माध्यम से उसने खुद को रायगढ़ में अपने जैसी कई लड़कियों के साथ पढ़ते हुए पायाजो अपने पंख फैलाने के लिए तैयार थीं। उसकी यात्रा ने एक नए सपने को प्रेरित किया है। शिक्षकों से प्रेरित अब वह दूसरों को पढ़ाना चाहती है। सान्या एक रसायन विज्ञान की शिक्षिका बनने की इच्छा रखती हैजो ज्ञान और प्रेरणा को दूसरों तक पहुंचाए।

 

ममता मिरी बालको में शिफ्ट इंचार्ज के रूप में कार्यरत हैं। पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी के रूप में पॉटलाइन से काम शुरू किया। पॉटलाइन पारंपरिक रूप से पुरुषों के लिए उपयुक्त माना जाता है। लेकिन ममता ने चुनौती से मुंह नहीं मोड़ा। उन्होंने कड़ी मेहनत पर ध्यान केंद्रित किया और सुनिश्चित किया कि उनके कौशल किसी भी रूढ़िवादिता से ज़्यादा ज़ोरदार है। टीम के समर्थन से ममता ने जल्दी ही अपनी भूमिका को अपनाया और उसमें आगे बढ़ीं। दो साल बाद अब वे शिफ्ट इंचार्ज हैं और उनके अधीन 15 लोग काम करते हैं। वे पॉट की दैनिक कार्यक्षमता सुनिश्चित करनेआने वाली किसी भी समस्या का समाधान और पॉटलाइन के सुचारू संचालन को बनाए रखने की ज़िम्मेदारी लेती हैं। उनके नेतृत्व और निर्णय लेने के कौशल ने उनकी टीम की सफलता पर सीधा प्रभाव डाला है।

 

पुष्पांजलि चौहानसहायक प्रबंधकसुरक्षावेदांता बालको का सपना यही थावर्दी पहन रक्षा क्षेत्र में अपनी सेवाएं देना। वह राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) में शामिल हो गई। फिर एक दिन वेदांता में साक्षात्कार देने का मौका मिला और उन्हें सुरक्षा विभाग में शामिल होने के लिए चुना गया। चंडीगढ़ में पुष्पांजलि का प्रशिक्षणजिसने उन्हें अपने सपनों को जीने का मौका दिया। जहाँ वे जूनियर सुरक्षा अधिकारी (जेएसओ) बन गईं। अब वो एक गौरवान्वित पेशेवर के साथ 2.5 साल के बेटे की माँ भी हैं। बालको की क्रेच पहल के सहयोग से वो अपने करियर और मातृत्व को सहजता से संतुलित करने में सक्षम हैं।